Chandigarh
भगवान श्री परशुराम भवन सेक्टर 12 ए पंचकुला में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भगवत कथा भक्ति ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस में सद्भावना दूत भागवताचार्य डा रमनीक कृष्ण जी महाराज ने नवधा भक्ति प्रसंग श्रवण कराते हुए बताया के प्रथम भक्ति श्रवण है अर्थात मनुष्य को एकाग्र होकर भगवान की कथाओं का श्रवण करना चाहिए श्रवण करने से भगवत प्रेम जागृत होता है, द्वितीय भक्ति किर्तनम है जिस नाम को श्रवण किया उसका कीर्तन करने से स्वयं भगवान भी प्रसन्न होते हैं, कथा अगर छप्पन भोग है तो हरिनाम संकीर्तन उसमे तुलसी दल है बिना तुलसीदल के भगवान को भोग नहीं लगता, तृतीय भक्ति विष्णु स्मरणम है अर्थात जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में भगवान का स्मरण बना रहे, चौथी भक्ति पाद सेवनम है अर्थात भगवान के चरणों में अनुगत मनह स्थिति बनी रहे, पंचम भक्ति अर्चन है के मनुष्य केवल भगवान की अर्चना करे, षष्ठम भक्ति बंदनम है अर्थात जीव सबमें परमात्मा का दर्शन कर सबका वंदन करे, सप्तमी भक्ति दास्यम है के दास बना जाए तो केवल प्रभु के हम दास बने, दुनिया के दास जब जब बने दुनिया ने ठोकरें ही मारी कभी भगवत चरणों के दास बनकर देखना वो हृदय से लगाएंगे, अष्टमी भक्ति सख्यम है अर्थात दुनिया से रिश्ते बनाए पर दुनिया उन्हें निभा ना पाई कभी भगवान से संबंध बनाकर देखना वो निभाएंगे, मीरा ने प्रेम का, सूरदास ने भाव का, सुदामा ने मित्रता का बनाया भगवान ने उस संबंध को निभाया, नवमी भक्ति आत्मनिवेदन है अर्थात आत्मा का निवेदन केवल परमात्मा से करना वो निभाएंगे। कभी अपने मन की बात झूठी दुनिया को मत बताना दुनिया तुम्हारे सामने तुम्हारी बनेगी पर तुम्हारे बाद वही तुम्हारे अपने लोग तुम्हारा परिहार बनाएंगे, पर मन की बात अगर भगवान से करोगे वो सुनेंगे भी और हमारे दुख दर्द दूर भी करेंगे। आज कथा में बड़े हर्ष के साथ भगवान वामन का चरित्र दर्शन हर्ष के साथ मनाया गया। कल कथा में भगवान श्री कृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराई जायेगी। कथा का समय प्रतिदिन सांय 3 से 6 बजे तक है।