सार्कोमा का समय पर इलाज जीवन और अंग दोनों बचा सकता है : डॉ. विर्क

  • दस दिन की देरी भी नुकसानदेह हो सकती है, समय पर जांच जरूरी : डॉ. विर्क
    पारस हेल्थ ने सार्कोमा अवेयरनेस मंथ पर दिया ज़ोर, समय पर पहचान को बताया जीवनरक्षक

पंचकूला, 30 जुलाई : सार्कोमा अवेयरनेस मंथ के अवसर पर पारस हेल्थ पंचकुला ने इस दुर्लभ लेकिन गंभीर कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक अभियान शुरू किया है। सार्कोमा हड्डियों और सॉफ्ट टिशू (मांसपेशियां, नसें, फैट आदि) को प्रभावित करने वाला कैंसर है, जिसकी पहचान अक्सर देर से होती है और इलाज मुश्किल हो जाता है।

सार्कोमा के शुरुआती लक्षणों में जोड़ों में लगातार दर्द, गांठ या सूजन, और चलने-फिरने में परेशानी शामिल हो सकती है। चूंकि यह दर्द रहित भी हो सकता है और कई बार सामान्य लक्षणों जैसा लगता है, इसलिए इसकी अनदेखी आम है। भारत में औसतन 4 से 6 महीने लग जाते हैं सार्कोमा की पहचान में, जिससे ज़्यादातर मरीज़ तब सामने आते हैं जब बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है।

इस गंभीरता को समझाते हुए डॉ. जगनदीप सिंह विर्क, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थो ऑन्कोलॉजी, पारस हेल्थ पंचकुला ने कहा कि सार्कोमा एक दुर्लभ कैंसर है लेकिन इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं। अगर पहचान में सिर्फ दस दिन की देरी हो जाए, तो मरीज़ को अंग गंवाना पड़ सकता है। हम फैमिली डॉक्टरों, फिजियोथेरेपिस्टों और ऑर्थोपेडिक्स को प्रशिक्षित कर रहे हैं ताकि वे लंबे समय तक बने दर्द को हल्के में न लें और समय पर जांच कराएं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, भारत में 2025 तक 15.7 लाख नए कैंसर केस आने की संभावना है। इसमें सार्कोमा जैसे दुर्लभ कैंसर भी शामिल हैं, जिनकी पहचान में देरी रोगी की जान व अंगों पर भारी पड़ सकती है।

पारस हेल्थ पंचकुला के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि हम इलाज के साथ-साथ जागरूकता पर भी बराबर ध्यान दे रहे हैं। मल्टीडिसिप्लिनरी टीम, बेहतर डायग्नोसिस और समय पर इलाज के साथ-साथ हम समाज को भी शिक्षित कर रहे हैं ताकि मरीज़ शुरुआती लक्षणों को पहचान सकें और देर न करें। पारस हेल्थ की ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी टीम आधुनिक तकनीकों के साथ इमेज-गाइडेड बायोप्सी, अंग-संरक्षण सर्जरी और रिहैबिलिटेशन प्रदान करती है, जिससे मरीज़ की रिकवरी तेज और बेहतर होती है।

सार्कोमा अवेयरनेस मंथ के तहत हॉस्पिटल में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम, मरीज एजुकेशन सेशन और आउटरीच ड्राइव आयोजित की जा रही हैं। मकसद है कि लोग गांठ, हड्डियों में दर्द या चलने में परेशानी जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर विशेषज्ञ से संपर्क करें। पारस हेल्थ पंचकुला का लक्ष्य है, हर मरीज़ को समय पर सही इलाज और जानकारी देकर उनकी ज़िंदगी और अंगों की रक्षा करना।

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