प्राचीन कला केन्द्र की 305वीं मासिक बैठक में सितार की मधुर धुनों की झंकार

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज सैक्टर 35 स्थित प्राचीन कला केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में सायं 6 :30 बजे सितार वादन पेश किया गया, जिसमें बनारस से आयी सधी हुई सितार वादक डॉ श्राबणी बिस्वास द्वारा सितार वादन पेश किया गया।

विदुषी डॉ. श्राबणी बिस्वास एक प्रतिष्ठित सितार वादक और ऑल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन की टॉप ग्रेड कलाकार हैं। आजकल श्रावणी वाराणसी स्थित भारतरत्न पं. रविशंकर इंटरप्रिटेशन सेंटर, संगीत नाटक अकादमी में वाद्य संगीत (सितार) की शिक्षिका है। आईसीसीआर से संबद्धता में इन्होने भारत सहित जापान, ग्रीस और नेपाल में प्रदर्शन और कार्यशालाओं का संचालन किया है। पं. भीमसेन जोशी राष्ट्रीय पुरस्कार और लता मंगेशकर पुरस्कार जैसी प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित, उन्होंने विभिन्न रागों में 40 मूल रचनाएँ तैयार की हैं और प्रमुख संगीत प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका निभाई है। इन्होने मणि कौल की फिल्म सिद्धेश्वरी में युवा सिद्धेश्वरी देवी की भूमिका भी निभाई थी।इन्होंने देश के विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मनोरंजन किया है ।

आज के कार्यक्रम का आरंभ श्रावणी ने राग गावती से किया जिसमें उन्होंने आलाप एवं जोड़ के साथ झाला की प्रस्तुति पेश की । इसके उपरांत मध्य लय में झप ताल से सजी रचना पेश की। इसके उपरांत द्रुत तीन ताल में गत पेश करके तालियां बटोरी पेश करके खूब तालियां बटोरी । इसके उपरांत मध्य लय एक ताल और द्रुत तीन ताल में खूबसूरत रचनाएँ पेश करके कार्यक्रम में रंग भर दिए।

कार्यक्रम के अंत में एक खूबसूरत धुन पेश की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इनके साथ बनारस के तबला वादक श्री ज्ञान स्वरुप मुख़र्जी ने तबले पर संगत करके समा बांध दिया । कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया ।

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