- “जब निर्माण न बदले, तब भी ऊर्जा बदली जा सकती है — बिना तोड़-फोड़ के वास्तु उपायों से संभव है संतुलन, शांति और सफलता।” — वास्तु विशेषज्ञ विराज वाधवा
चंडीगढ़, 9 अगस्त 2025: तेज़ रफ्तार जीवनशैली, सीमित स्थान और अपार्टमेंट संस्कृति के इस युग में, जब हर व्यक्ति अपने घर या कार्यालय में मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि की तलाश कर रहा है, ऐसे में वास्तु शास्त्र एक प्राचीन किन्तु आज भी पूर्णतः प्रासंगिक विज्ञान के रूप में उभर रहा है। यह विज्ञान आज बिना किसी तोड़-फोड़ के उपायों द्वारा लोगों को ऊर्जा संतुलन और जीवन में स्थायित्व प्रदान करने में सक्षम सिद्ध हो रहा है। यह बात वास्तु विशेषज्ञ एवं ज्योतिषाचार्य विराज वाधवा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।
वास्तु विशेषज्ञ एवं ज्योतिषाचार्य विराज वाधवा, जो ढकोली (ज़ीरकपुर) स्थित अपने केंद्र ‘कॉस्मिक वास्तु’ से सेवाएं दे रहे हैं, वास्तु के क्षेत्र में 25 वर्षों का अनुभव रखते हैं। उनका मानना है कि आज के शहरी जीवन में निर्माण कार्य में बदलाव कर पाना अक्सर संभव नहीं होता, “लेकिन वास्तु दोषों को बिना तोड़-फोड़ के भी प्रभावी ढंग से सुधारा जा सकता है।”
उन्होंने बताया कि किसी भवन के निर्माण से पहले या बाद में भी मुख्य द्वार की दिशा, रसोई और शौचालय का स्थान, तथा कमरों की स्थिति जैसे कारकों का जीवन पर गहरा असर पड़ता है। यदि इनमें असंतुलन हो, तो दर्पण, रंग चिकित्सा, पिरामिड, धातु की पट्टियाँ और दिशात्मक उपकरणों जैसे उपायों द्वारा ऊर्जा को संतुलित किया जा सकता है।
वाधवा ने समझाया कि पंचमहाभूत – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – प्रत्येक दिशा से जुड़े होते हैं। जब ये तत्व असंतुलित हो जाते हैं, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, आर्थिक रुकावटें और जीवन में अस्थिरता का सामना करना पड़ता है। किंतु, बिना किसी तोड़-फोड़ के किए गए उपायों द्वारा इनका संतुलन पुनः स्थापित किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि जन्म कुंडली और वास्तु को मिलाकर कार्य किया जाए, तो समाधान अधिक सटीक, व्यक्तिगत और दीर्घकालिक होते हैं। यह समग्र दृष्टिकोण व्यक्ति और स्थान दोनों की ऊर्जा का समन्वय करता है, जिससे जीवन में शांति और उन्नति सहजता से आती है।
वाधवा ने आगे कहा कि आज के आधुनिक फ्लैट्स और ऑफिसों में उत्तर-पूर्व में शौचालय, दक्षिण-पश्चिम में रसोई, तथा गलत दिशा में प्रवेशद्वार जैसी वास्तु संबंधी त्रुटियाँ आम होती जा रही हैं। परंतु यह सभी दोष बिना किसी महंगे निर्माण कार्य के सुलभ और प्रभावी तरीकों से सुधारे जा सकते हैं।
एक उदाहरण साझा करते हुए उन्होंने बताया कि एक ग्राहक को अग्नि तत्व के दोष के कारण वर्षों से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। केवल रंगों और दिशात्मक टूल्स के माध्यम से, बिना किसी निर्माण कार्य के, कुछ ही सप्ताह में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला।
उन्होंने सलाह दी कि जो लोग नया घर बना रहे हैं, उन्हें निर्माण की योजना में ही वास्तु ज़ोन और दिशा विज्ञान को सम्मिलित करना चाहिए। और यदि भवन पहले से बना हुआ है, तो भी बिना तोड़-फोड़ के उपायों को अपनाकर जीवन में संतुलन और सफलता प्राप्त की जा सकती है।
विराज वाधवा के बारे में
विराज वाधवा न केवल एक अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ हैं, बल्कि एक समर्पित शिक्षक और ज्योतिषाचार्य भी हैं। वे वास्तु सीखने के इच्छुक लोगों को प्रशिक्षण देते हैं और वास्तु शास्त्र को वैज्ञानिक, आधुनिक और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं, जिससे यह आम लोगों के लिए भी सहज और व्यावहारिक बन सके। उनकी ‘कॉस्मिक वास्तु’ सेवाएं आज उन सभी के लिए एक भरोसेमंद समाधान बन चुकी हैं जो अपने घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और सफलता चाहते हैं — वह भी बिना किसी तोड़-फोड़ के।
वास्तु विश्लेषण की उनकी प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक और व्यवहारिक है। वे दिशा निर्धारण, ऊर्जा मैपिंग और लेआउट मूल्यांकन के माध्यम से किसी भी घर या दफ्तर में मौजूद दोषों की पहचान करते हैं और फिर दर्पण, रंगों, धातु स्ट्रिप्स, पिरामिड और दिशात्मक सक्रियण जैसे साधनों द्वारा समाधान प्रदान करते हैं।
