मुख्यमंत्री दिए गए समय के अनुसार ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों की मांगों का सरकार तुरंत करे समाधान: रेशम सिंह गिल

  • किलोमीटर स्कीम (प्राइवेट) की बसें लगाकर सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगा रही है मैनेजमेंट: शमशेर सिंह ढिल्लों
  • यूनियन को हड़ताल सहित उग्र संघर्ष करने तथा मुख्यमंत्री पंजाब के आवास का घेराव करने के लिए यूनियन होगी मजबूर: हरकेश कुमार विक्की

चंडीगढ़:– पंजाब रोडवेज/पणबस/पी.आर.टी.सी. कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन पंजाब 25/11 द्वारा चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। यूनियन के प्रदेश प्रधान रेशम सिंह गिल ने कहा कि ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारी जनता की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए दिन-रात सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। लेकिन सरकार इन कर्मचारियों को न तो पक्का करती है और न ही उन्हें अपना मानती है। ये कर्मचारी हर आपदा, जैसे कोरोना महामारी, युद्ध, बाढ़, चुनाव, दंगे और राजनीतिक रैलियों में तैनात किए जाते हैं, फिर भी उन्हें पक्का करने के बजाय केवल वादे किए जाते हैं।

गिल ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के बावजूद इन कच्चे कर्मचारियों की मांगों का समाधान नहीं किया गया है। ट्रांसपोर्ट विभाग में तीन साल से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन न तो कोई नई बसें आई हैं और न ही विभाग में सुधार हुआ है। इसके विपरीत, सरकार किलोमीटर स्कीम के तहत निजी बसों को प्राथमिकता दे रही है, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। यूनियन ने निजीकरण के इस प्रयास का कड़ा विरोध किया है।

*सूत्रों के अनुसार:*
यूनियन के प्रदेश सचिव शमशेर सिंह ढिल्लों ने बताया कि सरकार को पंजाब की आबादी के अनुसार 10,000 सरकारी बसें लगानी चाहिए। बसों की कमी के कारण अक्सर हादसे होते हैं और जिम्मेदारी ड्राइवर और कंडक्टर पर डाल दी जाती है।

प्रदेश उपप्रधान हरकेश कुमार विक्की ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त पंजाब की बात करती है, लेकिन खुद ट्रांसपोर्ट विभाग में भ्रष्टाचार के माध्यम से आउटसोर्सिंग कर रही है। यूनियन ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आवाज उठाई है, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

यूनियन के नेताओं ने सरकार से मांग की है कि यदि जल्दी ही कच्चे कर्मचारियों को पक्का नहीं किया गया और उनकी अन्य मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो 15 अक्टूबर को सभी पंजाब के बस स्टैंड बंद किए जाएंगे और 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के घर के बाहर धरना दिया जाएगा। यदि फिर भी कोई समाधान नहीं निकला तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

हड़ताल के दौरान होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार और प्रबंधन की होगी।

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