Chandigarh
केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा है कि पंजाब न्यू कैपिटल (पेरिफेरी) कंट्रोल एक्ट, 1952 जैसे कानूनों में ऐसा कोई संशोधन करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, जिससे इसे चण्डीगढ़ शहर की वर्तमान वास्तविकताओं के मद्देनजर अधिक औचित्यपूर्ण बनाया जा सके। चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी द्वारा संसद में पूछे गए एक तीखे सवाल के जवाब में राज्य के गृह मंत्री नित्यानंद ने आज यह बात कही। शहर के सांसद ने ऐसे में केंद्र सरकार से यूटी चंडीगढ़ के 22 गांवों पर अभी भी लाल डोरा के नियम लागू रहने की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाया, जब कि सभी गाँव अब चंडीगढ़ नगर निगम के अधीन आ चुके हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार से लाल डोरा सीमा रखे जाने के बावजूद इसके अन्दर और बाहर चंडीगढ़ में एक समान बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा। लाल डोरा के बाहर आवासीय क्षेत्रों में हाल ही में पानी के कनेक्शन काटे जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए, तिवारी ने उन तक पानी और सफ़ाई आदि की सुविधाओं को प्रदान करने के लिए उठाए जा रहे उपायों के बारे में भी पूछा। तिवारी ने यह भी जानना चाहा कि चंडीगढ़ की शहरी योजना एवं मास्टर प्लान 2031 के उद्देश्य और शहर में लाल डोरा की अवधारणा, दोनों एक साथ कैसे चल सकते है।
चंडीगढ़ के गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन को नारकीय बनाने वाले इन मुद्दों पर केंद्र सरकार के गोलमोल जवाब से असंतुष्ट तिवारी ने कहा कि गृह मंत्री ने एक बार फिर से उनके सवालों को टाल दिया है। उन्होंने पूछा कि लाल डोरा की अवधारणा अब कैसे प्रासंगिक है जब पूर्ववर्ती लाल डोरा के भीतर के क्षेत्र और सभी 22 गांवों के बाहर के क्षेत्रों को चंडीगढ़ नगर निगम की सीमा में शामिल कर लिया गया है और अब कोई भी लाल डोरा के अंदर और बाहर के बीच अंतर और भेदभाव नहीं कर सकता है. उन्होंने केंद्र सरकार पर बेतुके नियमों की आड़ में शहर के सामने दरपेश मुद्दों से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के पास शहर के सामने आने वाली गंभीर समस्याओं का कोई संतोषजनक जवाब नहीं है।