निगम की वित्तीय हालत सुधारने को कोई ठोस कदम नहीं उठाया
प्रेस नोट
23.11.2024
चंडीगढ़ कांग्रेस ने आज निगम की सदन की बैठक के दौरान के पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया द्वारा संसाधनों की कमी से जूझ रहे नगर निगम को राहत प्रदान करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने में विफल रहने पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है. हालांकि अधिकांश पार्षदों ने इस आशय की ज़ोरदार मांग उठाई थी।
चंडीगढ़ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजीव शर्मा द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हालांकि यूटी प्रशासक द्वारा सदन की बैठक की अध्यक्षता करने की पहल सराहनीय है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने नगर निगम और चंडीगढ़ निवासियों को प्रभावित करने वाली मूल समस्याओं को हल करने का एक सुनहरा अवसर खो दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन ने इस वर्ष अपने 6800 करोड़ से कुल बजट में से निगम के लिए मात्र 560 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जो चंडीगढ़ के कुल बजट का 10% से भी कम है। विडंबना यह है कि नगर निगम पर सड़कों की रीकार्पेटिंग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सफाई, पार्कों और हरित पट्टियों का रखरखाव, स्ट्रीट लाइटिंग, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं जैसी महत्वपूर्ण नागरिक सुविधाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी है, लेकिन कुल बजट का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा चंडीगढ़ प्रशासन हड़प लेता है। काँग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि प्रशासन नगर निगम के 1650 करोड़ रुपये के उसके जायज़ हिस्से को देने से मनमाने ढंग से इनकार कर रहा है, जो चिंताजनक है। बैठक के दौरान जब प्रशासक को बताया गया कि निगम का टैक्स राजस्व हर साल बढ़ रहा है, तो उन्होंने प्रशासन से निगम का सहायता अनुदान बढ़ाने को कहने के बजाय निगम को ही अपने रेवन्यू को और बढ़ाने की सलाह दी, जो मौजूदा करों की दरों में वृद्धि करके ही किया जा सकता है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाला चंडीगढ़ प्रशासन ऐसी स्थिति पैदा करने पर तुला हुआ है, जिसमें नगर निगम को नए कर लगाने या मौजूदा करों की दरों में वृद्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने पिछले संसदीय चुनावों के दौरान वादा किया था कि शहर के निवासियों पर कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा। अभी हाल में ही काँग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एच.एस लक्की के भारी विरोध के कारण बिजली दरों के सेस बढ़ाने के प्रस्ताव को वापिस लिया गया I
चंडीगढ़ कांग्रेस ने यूटी प्रशासक से पुरजोर अपील की कि वह चंडीगढ़ के हित में निगम को 1650 करोड़ रुपये का उचित हिस्सा आवंटित करवायें ताकि शहर के विकास कार्यों में कोई बाधा न आए।