माणिक कोहली के गिटार की धुनों से सजी प्राचीन कला केंद्र की 306वी मासिक बैठक

Chandgiarh

प्राचीन कला केन्द्र की 306वीं मासिक बैठक का आयोजन केन्द्र के एम एल कौसर सभागार में आज सायं 6 :30 बजे से किया गया जिसमें चंडीगढ़ के युवा एवं प्रतिभाशाली गिटार वादक माणिक कोहली ने अपने गिटार की धुनों से आज की शाम को यादगारी बना दिया

हार्वर्ड विश्व रिकॉर्ड धारक और इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स धारक माणिक ने अपने पिता श्री संजीव कोहली (जो ट्राइसिटी में एक प्रसिद्ध गिटार वादक हैं) के आशीर्वाद से 4 साल की उम्र में अपना करियर शुरू किया। माणिक ने ड्रमर के रूप में संगीत में कदम रखा। अपने बचपन के शुरुआती दिनों में, उन्होंने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रशंसित खिताब जीते हैं। माणिक ने दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के रामजस कॉलेज से स्नातक और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से स्नातकोत्तर किया है। माणिक ने अल्पायु में ही कई उपलब्धियां हासिल की है।

कार्यक्रम का आरंभ माणिक ने राग यमन से किया। आलाप,जोड़ आलाप तथा जोड़ झाला की मधुर स्वर लहरियों के बाद तीन ताल में विलम्बित तथा द्रुत गतों से इस युवा कलाकार ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके उपरांत राग चारुकेशी में भी कुछ रचनाएँ पेश करके माणिक ने रागों का शुद्धता से प्रस्तुतिकरण तथा गायकी व तंत्रकारी अंगों पर अपनी महारथ को बखूबी दर्शाया।

कार्यक्रम का समापन माणिक ने राग भैरवी में निबद्ध एक धुन से करके खूब तालियां बटोरी। तबले पर इनका साथ चण्डीगढ़ के युजाने माने तबला वादक डॉ महेंद्र प्रसाद वर्मा ने किया जो पवित्र नगरी वाराणसी से हैं और इन्होने पंडित छोटे लाल मिश्र जी के प्रिय शिष्य के रूप में अपने तबला वादन को निखारा , जो बनारस घराने के सुप्रसिद्ध तबला वादक हैं। केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया।

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