रघुनाथनजलि प्रख्यात संगीतज्ञ पंडित रघुनाथ तलेगांवकर को समर्पित एक विशेष संगीत संध्या

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित संगीत की एक सुरमयी शाम

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ प्रख्यात संगीतज्ञ पंडित रघुनाथ तलेगांवकर को समर्पित एक विशेष संगीत संध्या का आयोजन केंद्र के सेक्टर 35 स्थित एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :30 बजे से किया गया । जिस में आगरा से आये तलेगांवकर परिवार ने एक सांगीतिक शाम को संजोया। इस कार्यक्रम में पंडित रघुनाथ तलगावकर फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से संगीत जगत की कुछ जानी मानी हस्तियों को भी सम्मानित किया गया जिस में पंडित सुशील जैन एवं गुरु शोभा कौसर के इलावा केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर केंद्र द्वारा पंडित रघुनाथ तलगावकर फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री विजय पाल सिंह चौहान को भी उत्तरीया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन के पश्चात कलाकारों द्वारा सरस्वती श्लोक प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत शास्त्रीय गायिका शुभ्रा तलेगाँवकर – द्वारा शास्त्रीय गायन से शुरुआत की गयी। उन्होंने ने सबसे पहले राग भूपाली में निबद्ध विलंबित रचना से सजी रचना अजहूँ ना आए मोरे मंदिरवा पेश की। इसके उपरांत मध्य लय की रचना मोरे मन बसी साँवरी सूरतिया पेश की। इसके बाद रास- तिरकिट ता थैया पेश करके शुभ्रा ने खूब तालियां बटोरी। इनके साथ संगत कलाकारों में श्री महमूद ख़ान ने तबले पे तथा पं रविन्द्र तलेगाँवकर ने हारमोनियम पर बखूबी संगत की।
इसके उपरांत जातिन नागरानी एवं युवराज दीक्षित द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति पेश की जिस में मल्हार श्रृंगार राग में तानसेन गाए मल्हार- ओर राग मियाँ मल्हार, मेघ मल्हार, देस मल्हार, गौड़ मल्हार, सूर मल्हार, रामदासी मल्हार, नट मल्हार, जयंत मल्हार एवं कमोद मल्हार इत्यादि
की खूबसूरत प्रस्तुति पेश की गयी।

इसके उपरांत डॉ मंगला तलेगाँवकर मठकर द्वारा राग परज में निबद्ध विलम्बित रचना रूठ गए मनमोहन की खूबसूरत प्रस्तुति पेश की गयी इसके उपरांत मध्य लय पर आधारित रचना- कान्ह करत मोसे प्रस्तुत की गयी जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
इसके इलावा रघुनाथांजलि में कुछ विशिष्ट बंदिशों की प्रस्तुति भी पेश की गयी जिस में राग कल्याण में षड्ज को साध रे , राग गोरख कल्याण में आज चली ब्रज की नार , राग बागेश्री में जावो जावो मुरारी, राग शंकरा में कित को चले बावरी बनाय , राग जोगकौंस- एरी आली कल ना परे ,राग झिंझोटी में सुघर चतुर नार , राग मालकौंस में तराना तथा राग वृंदावनी सारंग- त्रिवट- तिटकत गदिगन धा प्रस्तुत करके दर्शकों को संगीत के रंगो से भिगो दिया। संगत कलाकार में डॉ लोकेन्द्र तलेगाँवकर ने तबला तथा पं रविन्द्र तलेगाँवकर ने हारमोनियम पर बखूबी संगत की
कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को उत्तरीया देकर सम्मानित किया गया।

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