पांच दिवसीय महोत्सव “संस्कार भारती कला उत्सव” के दूसरे दिन डॉ. समीरा कोसर द्वारा भावपूर्ण कथक नृत्य “अहिल्या” की शानदार प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध

 

संस्कार भारती द्वारा नार्थ जोन कल्चरल सेंटर , प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी और चंडीगढ़ ललित कला अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में 20 से 24 नवंबर 2024 तक टैगोर थिएटर में रोजाना शाम 5:30 बजे चल रहे पांच दिवसीय महोत्सव “संस्कार भारती कला उत्सव” का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन के दूसरे दिन प्रख्यात कथक नृत्यांगना डॉ. समीरा कौसर द्वारा भावपूर्ण नृत्य नाटिका “अहिल्या” की प्रस्तुति पेश की गयी। इस अवसर पर संस्कार भारती के मार्गदर्शक श्री सौभाग्य वर्धन एवं प्राचीन कला केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे

समीरा ने कार्यक्रम की शुरुआत “कृष्ण स्तुति” के साथ की जिसके बोल थे “बलि बलि मोहन मोहन मूरत की बलि ”। , जिसमें भगवान कृष्ण की स्तुति द्वारा समीरा ने भगवन श्री कृष्ण के खूबसूरत रूप का बखान नृत्य के माध्यम से किया , जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इसके बाद उन्होंने अपनी मुख्य प्रस्तुति “अहिल्या” पेश की । उन्होंने अहिल्या की कथा का चित्रण अपने सधे हुए नृत्य पक्ष तथा खूबसूरत भाव प्रदर्शन के माध्यम से किया । अहिल्या पौराणिक ग्रंथों में पाई जाने वाली भावपूर्ण कथाओं में से एक है। ब्रह्मा जी की पुत्री अहिल्या को सौंदर्य और लावण्य की प्रतिमूर्ति माना जाता है। अहिल्या का विवाह महर्षि गौतम से हुआ था लेकिन इंद्र देव भी अहिल्या की सुंदरता पर मोहित थे। एक दिन जब गौतम ऋषि अपने आश्रम से बाहर गए हुए थे, तब इंद्र ने गौतम का रूप धारण कर उनकी पत्नी को बहकाया। जब ऋषि को पता चला तो उन्होंने अहिल्या को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। बाद में भगवान श्री राम के चरणों के स्पर्श से अहिल्या पुनः स्त्री कर शाप मुक्त हुई । यह नृत्य नाटिका दर्शकों के मन में यह प्रश्न भी उठाती है कि चाहे इंद्र की वासना हो या गौतम ऋषि का श्राप, हर मामले में शापित तो अहिल्या ही है। आज के युग में भी स्त्री के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाना आम बात है। सुरक्षित समाज के निर्माण के लिए हमें अपनी सोच का दायरा बढ़ाना होगा और समाज को नए युग की ओर ले जाना होगा। सुंदर संदेश के साथ डॉ. समीरा ने अपना नृत्य समाप्त किया।

उनके साथ गुरु बृज मोहन गंगानी ने पढंत पर , श्री माधो प्रसाद ने गायन पर , श्री. शकील अहमद ने तबले पर , श्री. महमूद खान ने तबले पर, श्री. सलीम कुमार ने सितार पर , श्री. महावीर गंगानी ने पखावज पर एवं श्री. अज़हर शकील.ने वायलिन पर बखूबी साथ दिया

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