श्री अनूप सरीन, समाजसेवी एवं संस्थापक, भारतीय सांस्कृतिक ज्ञान एवं श्रीमति नीना रस्तोगी, मुख्य प्राध्यापिका, सरकारी आदर्श सीनियर सैकण्डरी विद्यालय, सैक्टर 23, चण्डीगढ़ ने मुख्य अतिथि, डा. युवराज खुल्लर; डा. समर्थ खन्ना एवं डा. अनु गर्ग का आज सरकारी आदर्श सीनियर सैकण्डरी विद्यालय, सैक्टर 23ए, चण्डीगढ़ में आयोजित नशा-मुक्त भारत अभियान कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत किया।
श्री अनूप सरीन, समाजसेवी एवं संस्थापक, भारतीय सांस्कृतिक ज्ञान ने बताया कि अधिकतर लोग अपने मित्रों एवं सहपाठियों के साथ मौज-मस्ती के उद्देश्य से या परीक्षा में फेल होने के तनाव से मुक्ति के लिए या मानसिक या शारीरिक थकावट को दूर करने के लिए या हीन भावना से ग्रसित होने इत्यादि विभिन्न कारणों से नशे का प्रयोग शुरु करते हैं। उन्होंने बच्चों को अच्छी आदतें और शारीरिक गतिविधियां अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि यदि कोई नशीली दवाओं के सेवन के लिए बाध्य करता है तो उसको सख्ती से मना करना चाहिए और अध्यापक या परिजनों को तुरंत सूचित करना चाहिए। सभी बच्चों ने “नशामुक्त भारत” बनाने का संकल्प लिया।
डा. युवराज खुल्लर ने अपने संदेश में बच्चों से अनुरोध किया कि अगर नशा ही करना है तो अपनी पढ़ाई का; खेल का; संगीत का; डांस का; अपने घर को सुधारने का; देश को सुधार का; अपनी तरक्की का जुनून पैदा करें। जब आप ऐसा नशा करेंगे तो आप निश्चित रूप से बीड़ी, सिगरेट, शराब, जैसे नशे से दूर रहेंगे।
इस अवसर पर डा. समर्थ खन्ना, डैंटल सर्जन, ने कहा कि हर बच्चा महत्वपूर्ण है. उसका भविष्य बहुत अच्छा होगा, कोई डॉक्टर, इंजीनियर, राजनेता, फैक्ट्री मालिक बनेगा और कई अन्य लोगों को प्रभावित करेगा। इसलिए उन्हें आज अपना ख्याल रखना चाहिए और खुद को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से बचाएं। नशीली दवाओं को सख्ती से ना कहें। आपके मित्र पेशकश करेंगे, आपके माता-पिता पहले से ही ऐसा कर रहे होंगे लेकिन आप हमेशा ना ही कहेंगे। लड़कियाँ और लड़के दोनों अपनी सुरक्षा करें।
डा. अनु गर्ग (एम.ओ. 23 डिस्पैंसरी) ने कहा कि सच्चा स्वास्थ्य और सच्ची आज़ादी तभी है जब हम शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखें। सिगरेट, शराब और किसी भी प्रकार का नशा जीवन को कमज़ोर करता है, इसलिए इनसे दूरी बनाना ही समझदारी है।
इस अवसर पर डा. देविन्दर पाल सहगल ने औषधियों का वर्गीकरण एवं उनके शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया। सभी विद्यार्थियों को कुछ न कुछ ऐसे शौक जरूर अपनाने चाहिए जो उन्हें अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने और बुरी आदतों से बचने में मदद करें। छात्रों को अपने माता-पिता के साथ-साथ शिक्षकों का भी सम्मान करना चाहिए और बदले में उन्हें निश्चित रूप से लंबे समय में अपने जीवन में सब कुछ मिलेगा।
श्रीमति नीना रस्तोगी, मुख्य प्राध्यापिका ने आये हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर सरकारी आदर्श सीनियर सैकण्डरी विद्यालय, सैक्टर 23ए, चण्डीगढ़ से वाइस प्रिंसिपल श्रीमति रितु विजरा; श्रीमति उर्मिला; टिंकू और कु. डेज़ी चौहान; भारतीय सांस्कृतिक ज्ञान से अशोक शर्मा; विशव गुप्ता; नरेश गोयल; भारत भूषण; सतपाल वर्मा एवं सोहन सिंह की प्रेरणादायक उपस्थिति रही।
