- सिफकॉन कार्यशाला में माहिरों द्वारा कृत्रिम गर्भाधान विधि पर चर्चा
- बांझ दंपत्तियों के लिए आशा की किरण है आईवीएफ: विशेषज्ञ
चंडीगढ़, 23 जुलाई ( ): आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) उन दम्पत्तियों के लिए आशा की किरण है जिन्हें कुछ दोषों के कारण गर्भधारण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ये विचार ग्रेटर चंडीगढ़ चैप्टर की सिफकॉन-2024 कार्यशाला के दौरान विभिन्न प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञों (स्त्री रोग विशेषज्ञों) ने व्यक्त किये। इस अवसर पर आईएफएस के ग्रेटर चंडीगढ़ चैप्टर के नए कार्यकारी सदस्यों की नियुक्ति भी की गई, जिसमें पीजीआई, जीएमसीएच 32 और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज पटियाला के डॉक्टरों सहित 250 लोग शामिल हुए।
इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी एवं पंजाब मेडिकल काउंसिल ने संयुक्त रूप से स्थानीय राजीव गांधी आई.टी. पार्क स्थित द ललित होटल में नये पदाधिकारियों के पदस्थापन के दौरान आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पिछले दो-तीन दशकों में बांझपन के इलाज में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। इस अवधि के दौरान, बांझपन का कारण जानने के लिए नए हार्मोन परीक्षण, मशीनें, नई दवाएं और नए तरीके अस्तित्व में आए हैं। इसके परिणामस्वरूप न केवल बांझपन का सटीक कारण जानने में मदद मिली है, बल्कि सफलता दर भी कई गुना बढ़ गई है।
इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी चंडीगढ़ की सचिव डा. लवलीन कौर सोढ़ी ने कहा कि सिफकॉन इससे पहले भी अपनी कार्यशालाओं के दौरान ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करता रहा है। इस अवसर पर सोसायटी के संरक्षक डा. उमेश एन जिंदल, डॉ. (प्रो.) पंकज तलवार, अध्यक्ष आईएफएस, संयुक्त सचिव डा. निधि शर्मा, कोषाध्यक्ष डा. शीतल जिंदल, डा. जपलीन कौर, डा. प्रभनीत कौर, डा. शालिनी गांदर, डा. प्रीति जिंदल, डा. हरप्रीत कौर, डा. परविंदर अरोड़ा, डा. जसनीत कौर व डा. शानुजीत सोढ़ी आदि ने संबोधित किया।
कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि यह विधि बहुत ही सरल एवं दर्द रहित है। इसके अच्छे नतीजों के कारण पंजाब सहित देश के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में मनसुई गर्भावस्था केंद्र खोले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया जोड़ों की उम्मीदों पर खरी उतरती है।