इंडिया रिसर्च टूर 2025 का ईटानगर में समापन, पूर्वोत्तर भारत में रिसर्च की उत्कृष्टता और समावेशिता का मनाया गया उत्सव

ईटानगर ( अमरपाल नूरपुरी ) : : इंडिया रिसर्च टूर 2025, जो स्प्रिंगर नेचर का भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर किया गया भारत का सबसे बड़ा और प्रभावशाली रिसर्च आउटरीच प्रोग्राम है, आज राजीव गांधी यूनिवर्सिटी (RGU) में खत्म हुआ। इस टूर में नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NERIST) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) इटानगर भी शामिल हुए, जो 6 अक्टूबर को नई दिल्ली से शुरू हुई एक महीने की यात्रा का आखिरी पड़ाव था।

अपनी यात्रा के दौरान, इस टूर में शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और शिक्षा जगत के लोगों से बातचीत हुई। इसका मुख्य फोकस था ओपन एक्सेस और ओपन साइंस को बढ़ावा देना, रिसर्च इंटीग्रिटी इन साइंस एंड एजुकेशन (RISE) प्रोग्राम के द्वारा रिसर्च इंटीग्रिटी को मजबूत करना, ई-बुक्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देना, एडिटोरियल बोर्ड के सदस्यों की भर्ती में मदद करना और हर रिसर्च, आवर फ्यूचर जैसी पहलों के जरिए रिसर्च में विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देना।

इस मौके पर स्प्रिंगर नेचर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वेंकटेश सर्वसिद्धि ने कहा, “जैसे ही इंडिया रिसर्च टूर 2025 ईटानगर में समाप्त हो रहा है, हम पूरे भारत में विशेष रूप से उत्तर-पूर्व भारत में देखी गई रिसर्च की अपार क्षमता और उत्साह से प्रेरित हैं। इस टूर के दौरान हुई बातचीत और सहयोग ने हमें शोधकर्ताओं की ज़रूरतें, संस्थागत प्राथमिकताएँ और क्षेत्रीय अवसर समझने में मदद की है। यह अनुभव स्प्रिंगर नेचर को भारत के रिसर्च इकोसिस्टम के साथ हमारे जुड़ाव को मजबूत करने और ऐसे समाधान बनाने में मार्गदर्शन देगा, जो हर शोधकर्ता को, हर जगह, सच में सशक्त बना सकें।“

पिछले कई हफ़्तों में, इंडिया रिसर्च टूर 2025 ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम के प्रमुख शैक्षणिक और रिसर्च संस्थानों का दौरा किया, और अंत में अपनी यात्रा अरुणाचल प्रदेश में समाप्त की। कुल मिलाकर, इस टूर ने 15 शहरों और 7 राज्यों में 29 संस्थानों को कवर किया, और इसके दौरान ओपन एक्सेस और ओपन साइंस, रिसर्च इंटीग्रिटी, विविधता और समावेशिता, और सतत विकास पर बातचीत को बढ़ावा दिया। की यह प्रतिबद्धता दिखाता है कि भारत के रिसर्च इकोसिस्टम को और समावेशी बनाया जाए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी क्षेत्रों के शोधकर्ताओं, जिनमें पारंपरिक रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्र भी शामिल हैं, को वैश्विक प्लेटफ़ॉर्म, उपकरण और नेटवर्क तक पहुँच मिल सके।

इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) के मेंबर सेक्रेटरी और राजीव गांधी यूनिवर्सिटी के एल्युम्नस प्रोफेसर धनंजय सिंह ने कहा, “मुझे गर्व है कि इंडिया रिसर्च टूर मेरे पुराने विश्वविद्यालय, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी में खत्म हो रहा है। इस पहल में उत्तर-पूर्व के संस्थानों को शामिल करना देश और दुनिया में रिसर्च में सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की दिशा में एक अच्छा कदम है।

इस इलाके के शोधकर्ताओं से जुड़कर हम न केवल उनके योगदान को मानते हैं, बल्कि अधिक सहयोग, पहचान और प्रभाव के नए रास्ते भी खोलते हैं। उत्तर-पूर्व की विविधता, संस्कृति और बौद्धिक शक्ति इसे भारत के रिसर्च भविष्य का एक अहम हिस्सा बनाती है।”

इंडिया रिसर्च टूर 2025 के मुख्य स्तंभ :
• ओपन एक्सेस (Open Access) को बढ़ावा देना और वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) पहल के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
• रिसर्च इंटीग्रिटी (शोध की सत्यनिष्ठा) और प्रकाशन क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका पर चर्चाओं को प्रोत्साहित करना।
• ‘हर रिसर्च, आवर फ्युचर’और ‘रिसर्च एंबेसडर प्रोग्राम’ जैसे पहलों के माध्यम से विविधता और समावेशन (Diversity and Inclusion) को बढ़ावा देना।
• ज्ञान के लोकतांत्रिकरण और उसकी सुलभता को सुदृढ़ बनाकर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (UN SDGs) का समर्थन करना।
पूरी यात्रा के दौरान, इंडिया रिसर्च टूर 2025 ने वर्कशॉप्स, पैनल डिस्कशन और संवाद आयोजित किए, जिनका उद्देश्य सही और नैतिक शोध प्रथाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना, वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) पहल को बढ़ावा देना और वैश्विक ओपन साइंस मूवमेंट्स में भागीदारी को प्रोत्साहित करना था।

अरुणाचल प्रदेश में इस टूर का समापन भारत के रिसर्च इकोसिस्टम में बढ़ती समावेशिता और पहुंच को दर्शाता है। एक महीने से अधिक की इस यात्रा में मिली जानकारियाँ स्प्रिंगर नेचर और उसके सहयोगियों को भारत के रिसर्च को और ज्यादा ओपेन, नैतिक और वैश्विक रूप से जुड़ा हुआ बनाने में अपनी भूमिका मजबूत करने में मदद करेंगी।

Please follow and like us:
Pin Share
YouTube
Pinterest
LinkedIn
Share