बनारसी से कांचीपुरम तक: सिल्क की विरासत का उत्सव “ नेशनल सिल्क एक्सपो “चंडीगढ़ में शुरू

  • · नेशनल सिल्क एक्सपो: पारंपरिक बुनाई और शिल्प का चंडीगढ़ के हिमाचल भवन में संगम
  • · चण्डीगढ़ के हिमाचल भवन में मिल रही है देशभर की 1,50,000 से ज्यादा लेटेस्ट वैरायटी व नये डिजायनों में सिल्क की खूबसूरत साड़ीयाँ व सूट

चंडीगढ़ 13 दिसम्बर 2024

शादीयों के सीजन के लिये खास सिल्क व कॉटन की साड़ियों की लेटेस्ट वैरायटी व नये डिजायनों में उपलब्ध करवाने के लिए चण्डीगढ़ के सेक्टर 28बी स्थित हिमाचल भवन में 13 से 18 दिसम्बर 2024 तक ग्रामीण हस्तकला विकास समिति द्वारा नेशनल सिल्क एक्सपो प्रदर्शनी व सेल का आज शुभारम्भ हुआ जोकि खरीददारी का एक शानदार अवसर है।

इस सेल में 150 से ज्यादा देशभर के बुनकर कोने-कोने से विविध स्थानों की लोकप्रिय वैरायटी की साड़ीयों एवं ड्रैस मटेरियल उपलब्ध हैं, जो मन को लुभाने वाले है। तरह-तरह के डिजाइन्स, पैटर्न्स, कलर कॉम्बिनेशन इन साड़ियों का व्यापक खजाना है। साथ ही साथ, फैशन ज्वैलरी का भी लुभावना कलेक्शन यहाँ पेश किया गया है। जिसमें गुजरात की डबल इक्कत हैडमेड पटोला साडी उपलब्ध है, जो आठ महीने मैं तैयार होती है, इसे दो बार बुना जाता है। हर धागे को अलग से कलर किया जाता है, प्योर सिल्क की होने की वजह से यह इतनी मंहगी होती है। वहीं 5 हजार से लेकर 20 हजार की महाराष्ट्र की पैठणी साड़ीयों में गांव का परिवेश है तो वहीं राजा-महाराजाओं का राजसी अंदाज तो कहीं मुगलकाल की कला है।

बनारस के बुनकर अपनी साड़ीयों को नए जमाने के हिसाब से लोकप्रिय बनाने के लिए कई तरह के प्रयोग करते रहते है। कभी वे बनारसी साड़ीयों पर बाग की छपाई करवाते है तो अब वे बनारसी सिल्क साड़ीयों पर महाराष्ट्र की पैठणी साडीयों के मोटिफ बुन रहे है। वैसे पारंपरिक बनारसी जरी और कढ़वा बूटी साड़ीयों से लेकर तनछोई सिल्क तक कई तरह की वैरायटी एक हजार से लेकर पांच हजार तक इस सेल में मिल रही है। जिसमें शादीयों के खास मौके पर विवर्स द्वारा 50 प्रतिशत तक की छूट प्रदान की जा रही है।

प्रदर्शनी में कश्मीरी का पश्मीना शॉल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, इसे कश्मीर के स्टॉल में प्रदर्शित किया गया है, यहां 6 हजार से 3 लाख रुपये तक के पश्मीना सिल्क साड़ीयां 3 से 4 हजार में उपलब्ध है। इसके अलावा यहां रेशम की बुनाई के लिए मशहूर बिहार के भागलपुर से कई बुनकर शादी सीजन जैसे खास मौके पर पहने जाने वाले कुर्ता व पायजामा के लिये खास हाथ से बने हुये भागलपुर सिल्क व मोदी जैकेट का कपड़ा भी उपलब्ध है। तमिलनाडु की प्योर जरी वर्क की काजीवरम साड़ी भी महिलाओ का पसद आ रही है। सोने और चादी के तारो से बनी इस साडी को कारीगर 30 से 40 दिन मैं तैयार करते हैं जिसकी कीमत 5 हजार से शुरु होकर 2 लाख होती है। मैसूर सिल्क साड़ीयों के साथ ही क्रेप और जॉर्जेट सिल्क, बिहार का टस्सर सिल्क, आन्ध्रा प्रदेश का उपाड़ा, उड़ीसा का मूंगा सिल्क भी हिमाचल भवन, मध्य मार्ग, सेक्टर 28बी, चण्डीगढ़ में लगी प्रदर्शनी में उपलब्ध है।

यह एग्जीबिशन सुबह 11 बजे से रात 09 बजे तक खुला रहेगा, और इसमें प्रवेश नि:शुल्क है।

नेशनल सिल्क एक्सपो में कई प्रकार के अन्य स्टॉल भी लगाए गए हैं, जहां हस्तशिल्प और हैंडमेड ज्वेलरी भी प्रदर्शित की जा रही हैं।

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