- एड़ी में दर्द, सपाट पैर, गोखरू बनियन, पैरों में सूजन व घाव के उपचार में आई क्रांति
फतेहाबाद
पूरे शरीर का भार पैर उठाते हैं, ऐसे में पैरों में किसी भी तरह के दर्द को नजरअंदाज कर व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में कठिनाई पैदा कर सकता है या आपको ताउम्र अपाहिज की तरह लाचार भी बना सकता है। पैर के दर्द के सटीक कारण पता करने के लिए चिकित्सा मूल्यांकन आवश्यक है, ताकि दर्द का उचित उपचार आरंभ किया जा सके। यह बात जाने माने पैर एवं टखने/एड़ी के माहिर डाक्टर डा. चंदन नारंग ने आज फतेहाबाद में आयोजित प्रैस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कही, जो कि पैरों में दर्द, पैर सुन्न होना, गोखरू बनियन, पैरों में कान्र्स और कैलोसिटीज (अट्टन/छाले जैसे दिखने वाली त्वचा) तथा सूजन के साथ एकाएक अंगूठे/अंगूलियों में बदलाव आने जैसी समस्याओं के इलाज में आई नवीनतम उपचार तकनीकों संबंधी जागरूक करने के लिए शहर में पहुंचे थे।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली के पैर एवं एन्कल/टखने विभाग के एसोसिएट कंस्लटेंट डा. चंदन नारंग ने कहा कि एड़ी में दर्द के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है तथा यह समस्या पुरुषों की बजाए महिलाओं को ज्यादा परेशान करती हैं। उन्होंने कहा कि पैरों में दर्द का अहम कारण वजन बढऩा, लंबे समय तक खड़े रहना या कठोर व्यायाम या शारीरिक गतिविधि भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि पैर और टखने की बीमारी जन्मजात या न्यूरोमस्कुलर दोष के कारण हो सकती है। स्ट्रोक, नसों में चोट लगने के कारण भी मरीज इस समस्या से पीडि़त हो सकते हैं।
डा. नारंग ने बताया कि बुजुर्ग व्यक्तियों में पैरों के दर्द की समस्या ज्यादा आम है, परंतु अब बदलती दिनचर्या के कारण युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में एक 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला जो कि एक पैर में कान्र्स और कॉलोसिटीज (अट्टन/छाले जैसे दिखने वाली त्वचा) के चलते तेज दर्द के कारण चलने-फिरने में असमर्थ थी, जिसकी जांच करने पर वह रूमेटीइड पैर के साथ रूमेटीइड गठिया से पीडि़त पाई गई। उसके पैर के अंगूठे के साथ उसके पैरों की अंगूलियों का आकार भी बदल चुका था। उन्होंने बताया कि समय पर सही इलाज न मिल पाने के कारण महिला की हालत बिगड़ रही थी। उन्होंने बताया कि डिर्फोमिटी कोरेक्शन सर्जरी द्वारा उसके अंगूठे को ठीक कर उसके पैर के अंगूठे व अंगूलियों के आकार को एक्सिशन आर्थोप्लास्टी और टेंडन लैंथिंग व टेंडन ट्रांसफर से ठीक कर उसे क्रिश्नर तार (हड्डी को एकसाथ रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली धातु की पिन) के साथ ठीक किया गया।
इसी तरह एक 13 वर्षीय युवक जो कि पैरों में तेज दर्द के कारण चलने फिरने में असमर्थ था, जिसके एक पैर का पूरा आकार बदल चुका था, जिस कारण वह असामान्य जीवन व्यतीत कर रहा था। डा. नारंग ने मरीज के पैर को सामान्य एवं चलने योगय बनाने के लिए एक ही बार में 6 जटिल सर्जिकल प्रक्रियाएं की। दोनों मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं तथा बिना किसी सहारे के चलने में सक्षम हो गए हैं। डा. नारंग ने बताया कि रूमेटोइड गठिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है परंतु 40-60 की उम्र के बीच ज्यादा रहता है। उन्होंने बताया कि गठिया के दौरान 90 प्रतिशत मरीजों को पैर की समस्या रहती है। पैर का दर्द का लगातार बने रहना किसी गंभीर परेशानी की ओर भी इशारा करता है तथा यदि सुबह उठने के बाद भी दर्द बना रहता है, तो इस नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पैर और टखने में 26 हड्डियां, 33 जोड़ और 100 से अधिक टेंडन मौजूद होते हैं ऐसे में पैर में मोच या चोट लगने पर भी डाक्टरी परामर्श के साथ सही समय पर सटीक इलाज करवाना चाहिए।