भारतीय संगीत कला को समर्पित संस्था प्राचीन कला केन्द्र द्वारा पिछले 26 वर्षों से निरंतर आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की 303वी कड़ी में आज सैक्सोफोन के धुनों से खनकती शाम में युवा सैक्सोफोन वादक श्री प्रियंक कृष्णा द्वारा प्रस्तुति दी गयी । इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के एम एल कौसर सभागार में किया गया।
आज के कलाकार इलाहाबाद के एक संगीतकार परिवार में जन्मे प्रियांक कृष्ण को संगीत विरासत में मिला। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपने पिता पंडित राम कृष्ण से शास्त्रीय संगीत की औपचारिक शिक्षा प्राप्त की, जो देश के एक प्रमुख शहनाई वादक थे। उन्होंने अपने पिता के साथ कई संगीत समारोहों में हिस्सा लिया और अब वे सैक्सोफोन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। अपने गायन में प्रियांक गायकी की धुन और तंत्रकारी शैलियों की बारीकियों के साथ-साथ पश्चिमी वाद्य की प्रभावशीलता को भी शामिल करना पसंद करते हैं। उनके प्रदर्शन को दर्शकों और संगीत समीक्षकों ने भी सराहा है। उन्हें भारतीय बांसुरी बजाने में भी महारत हासिल है। अपने संगीत के सफर के दौरान प्रियांक को देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ सबसे प्रतिष्ठित संगीत समूहों का हिस्सा बनने का मौका मिला। वे आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार हैं।
कार्यक्रम का आरंभ में प्रियांक ने राग बागेश्री से अपने गायन की शुरुआत की। उन्होंने विलंबित एक ताल पर आधारित आलाप के माध्यम से असाधारण राग के रहस्यों को उजागर किया। प्रियांक द्वारा विलंबित और द्रुत लय में प्रस्तुत रचनाओं को सुनकर श्रोता रोमांचित हो गए। उन्होंने राग मिश्र भैरवी पर आधारित दादरा से गायन का समापन किया। इस संगीत कार्यक्रम में शहर के प्रख्यात तबला वादक अविर्भाव वर्मा ने तबले पर संगत की। केंद्र के सचिव श्री सजल कोसर ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।