चण्डीगढ़ में भी वाहनों पर कूलिंग फिल्म लगानी शुरू

  • केरल उच्च न्यायालय ने वाहनों में कूलिंग फिल्म लगाने को कानूनी तौर पर जायज ठहराया : वाहनों में आगे और पीछे की तरफ 70 प्रतिशत तथा किनारों पर 50 प्रतिशत पारदर्शिता होनी चाहिए
  • इस फैसले से बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा तथा पेट्रोल-डीजल की बचत भी होगी : खालिद खान

चण्डीगढ़ : अदालत द्वारा मोटर वाहनों के आगे, पीछे और बगल में ‘सेफ्टी ग्लेज़िंग’ की अनुमति दी गई है। इसके बाद अब चण्डीगढ़ में भी वाहनों पर कूलिंग फिल्म लगानी शुरू हो गई है। वाहन चालक धड़ाधड़ वाहनों पर ये कूलिंग फिल्म लगवा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों केरल उच्च न्यायालय ने संशोधित नियमों के तहत वाहनों पर कूलिंग फिल्म लगाने को वैध करार देते हुए वाहन मालिकों और फर्मों के खिलाफ जुर्माना और कार्रवाई को रद्द कर दिया था।
अदालत के इस फैसले पर सेक्टर 28-सी की मोटर मार्केट एसोसिएशन के चेयरमैन खालिद खान ने आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इससे अनेक बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा तथा साथ ही वाहनों में एसी पर भी दबाव कम होगा जिससे पेट्रोल-डीजल की बचत भी होगी।

केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि मोटर वाहनों पर कूलिंग फिल्म लगाना कानून के अनुसार जायज़ है। न्यायमूर्ति एन नागरेश ने कहा कि अधिकारियों को इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने या जुर्माना लगाने का कोई अधिकार नहीं है। एक अप्रैल 2021 से लागू हुए केंद्रीय मोटर वाहन नियम की धारा 100 के संशोधन के अनुसार, मोटर वाहनों के आगे, पीछे और किनारों पर सेफ्टी ग्लास के स्थान पर ‘सेफ्टी ग्लेज़िंग’ के उपयोग की अनुमति दी गई है।

उच्च न्यायालय का यह निर्णय शीतलन फिल्म बनाने वाली एक कंपनी, शीतलन फिल्म चिपकाने के लिए जुर्माना लगाए गए एक वाहन मालिक, तथा एक संगठन द्वारा दायर याचिका पर आया था, जिसे मोटर वाहन विभाग (एमवीडी) द्वारा नोटिस दिया गया था कि सूर्य नियंत्रण फिल्म का व्यापार करने के कारण उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।

भारतीय मानक ब्यूरो के 2019 मानदंडों के अनुरूप सुरक्षा ग्लेज़िंग की अनुमति है। सुरक्षा ग्लास की आंतरिक सतह पर लगाई गई प्लास्टिक फिल्म को सुरक्षा ग्लेज़िंग की परिभाषा में शामिल किया गया है। संशोधित नियमों के अनुसार, आगे और पीछे की तरफ 70 प्रतिशत तथा किनारों पर 50 प्रतिशत पारदर्शिता होनी चाहिए। इस संशोधन का हवाला देते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसी फिल्मों का उपयोग वैध है।

उच्च न्यायालय का यह निर्णय शीतलन फिल्म बनाने वाली एक कंपनी, शीतलन फिल्म चिपकाने के लिए जुर्माना लगाए गए एक वाहन मालिक, तथा एक संगठन द्वारा दायर याचिका पर आया था, जिसे मोटर वाहन विभाग (एमवीडी) द्वारा नोटिस दिया गया था कि सूर्य नियंत्रण फिल्म का व्यापार करने के कारण उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।

भारतीय मानक ब्यूरो के 2019 मानदंडों के अनुरूप सुरक्षा ग्लेज़िंग की अनुमति है। सुरक्षा ग्लास की आंतरिक सतह पर लगाई गई प्लास्टिक फिल्म को सुरक्षा ग्लेज़िंग की परिभाषा में शामिल किया गया है। संशोधित नियमों के अनुसार, आगे और पीछे की तरफ 70 प्रतिशत तथा किनारों पर 50 प्रतिशत पारदर्शिता होनी चाहिए। इस संशोधन का हवाला देते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसी फिल्मों का उपयोग वैध है।

यद्यपि विरोधी पक्ष ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं ऐसी फिल्मों के उपयोग पर रोक लगाई है, परन्तु न्यायालय ने माना कि सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा निर्णय नियमों में संशोधन से पहले के हैं।
अदालत ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि केवल वाहन निर्माता को ही शीशे और फिल्म से बनी सुरक्षा ग्लेजिंग लगाने की अनुमति है, वाहन मालिक को नहीं। अदालत ने कहा कि वाहन मालिक को ग्लेजिंग को बनाए रखने का अधिकार है, जो नियमों के अनुसार पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

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उल्लेखनीय है कि केरल हाई कोर्ट ने अभी हाल ही में कार के शीशों पर ब्लैक फिल्म लगाने को लेकर अहम फैसला सुनाया है जिसमें कहा कि कारों के शीशों पर ब्लैक फिल्म या कूलिंग फिल्म लगाने से रोकना सही नहीं होगा। अगर कोई गाड़ी पर तय नियमों के अनुसार कूलिंग फिल्म या प्लास्टिक फिल्म लगवाता है तो पुलिस चालान नहीं कर सकती।

केरल हाईकोर्ट के ने साफ कहा कि अगर किसी कार की विंडो पर सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 के नियमों के तहत फिल्म लगी है, तो चालान करना गलत होगा। इसके अलावा, कार चालक अपनी जरूरत के अनुसार खिड़कियों पर प्लास्टिक फिल्म लगवा सकते हैं, लेकिन यह नियमों के अनुसार हो।
इस बात पर भी ध्यान देना होगा की कार के शीशे पूरी तरह से काले या जीरो पारदर्शिता वाले फिल्म पर अब भी जुर्माना लगाया जाएगा। केरल हाई कोर्ट के इस फैसले से कार चालकों को बड़ी राहत मिलेगी। कार चालक अपनी जरूरत के अनुसार खिड़कियों पर प्लास्टिक फिल्म लगवा सकते हैं।

क्यों लगाया था बैन ?

साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कारों की विंडो पर ब्लैक फिल्म लगाने पर बैन कर दिया था और कहा था कि इससे कार के अन्दर अपराध आसानी से हो सकते हैं। कोर्ट ने उस समय कहा गया था कि कारों की विंडस्क्रीन पर कम से कम 70% और साइड विंडो पर 50% विजिबिलिटी होनी चाहिए।

हालांकि 1 अप्रैल, 2021 से लागू केंद्रीय मोटर वाहन नियमों की धारा 100 के संशोधन के अनुसार, मोटर वाहनों के आगे, पीछे और किनारों पर सेफ्टी ग्लास के बजाय ‘सेफ्टी ग्लेज़िंग’ के उपयोग की अनुमति दी गई है।

कोर्ट ने साफ किया कि अगर कार में जीरो विजिबिलिटी वाले काले शीशे लगाए जाते हैं तो इसके लिए 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं यदि बार-बार नियम को तोड़ता है तो उसका लाइसेंस सस्पेंड करके गाड़ी को भी जब्त किया जा सकता है।

कार की विंडो पर फिल्म लगाने के फायदे :

टेम्प्रेचर कंट्रोल रहता है
कार के अंदर का तापमान 45% तक कम किया जा सकता है, जिससे एसी पर कम लोड पड़ने से पेट्रोल डीजल की बचत हो सकेगी
इस फिल्म की मदद से यूवी किरणों से बचाव
कार में मिलती है प्राइवेसी

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