यह देखा गया है कि शहर में बड़ी संख्या में पेड़ों को या तो निवासी स्वयं काट रहे हैं या फिर यूटी चंडीगढ़ के हॉर्टिकल्चर विभाग तथा नगर निगम चंडीगढ़ के अधिकारियों की मिलीभगत से काटा जा रहा है। ऐसे लोगों द्वारा इसका मुख्य कारण यह बताया जाता है कि पेड़ उनके घरों में सूर्य की रोशनी आने में बाधा उत्पन्न करते हैं। पूछने पर यह लोग अक्सर कहते हैं कि वे केवल “ट्रिमिंग” कर रहे हैं, जबकि पेड़ों को काटने की वास्तविक स्थिति इससे कहीं अधिक गंभीर होती है।
हाल ही में, श्री एन. के. झिंगन, सचिव, एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया, ने पुष्पक सोसाइटी, सेक्टर 49-बी, चंडीगढ़ में पेड़ों की बिना अनुमति की जा रही कटाई को देखा। पेड़ों की स्थिति देखकर—जिन्हें ट्रिमिंग के नाम पर काफी हद तक काट दिया गया था—उन्होंने तुरंत चंडीगढ़ प्रशासन तथा नगर निगम के संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना दी और पेड़ों की क्षतिग्रस्त स्थिति की तस्वीरें भी भेजीं। दुर्भाग्यवश, अब तक दोषियों के विरुद्ध नियमों के अनुसार कोई कार्रवाई होती दिखाई नहीं दे रही है।
आज जारी किए गए एक प्रेस नोट में, श्री झिंगन ने संबंधित अधिकारियों से आग्रह किया कि वे बिना अनुमति पेड़ काटने के आदेश देने वाले व्यक्तियों तथा इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि यदि कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया, वन एवं पर्यावरण विभाग, चंडीगढ़ से अनुरोध करेगी कि अगले वर्ष से ‘सिटी ब्यूटीफुल’ में कोई नया पौधारोपण अभियान न चलाया जाए, क्योंकि जब अवैध कटाई पर रोक ही नहीं लगाई जाती तो ऐसे प्रयास सरकार के समय और धन की बर्बादी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यदि दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं की जाती, तो भविष्य में शहर की हरियाली की रक्षा के लिए एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगी।
शहर में बड़ी संख्या में पेड़ों को या तो निवासी स्वयं काट रहे हैं या फिर यूटी चंडीगढ़ के हॉर्टिकल्चर विभाग तथा नगर निगम चंडीगढ़ के अधिकारियों की मिलीभगत से काटा जा रहा
