श्री दिगम्बर जैन मंदिर, सेक्टर 27-बी, चंडीगढ़ में चल रहे दशलक्षण पर्व के अंतर्गत चतुर्थ दिवस उत्तम शौच धर्म का आयोजन ब्रह्मचारिणी लब्धि दीदी (हिमानी दीदी) के पावन मार्गदर्शन में श्रद्धा एवं भक्ति भाव से सम्पन्न हुआ।जो समाज के श्रद्धालुओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ संपन्न किया गया।
उत्तम शौच धर्म का महत्व
शौच का अर्थ है – बाहरी एवं आंतरिक पवित्रता। बाहरी शौच से शरीर शुद्ध होता है और आंतरिक शौच से आत्मा निर्मल बनती है। लोभ, क्रोध, मोह, अहंकार आदि विकारों से मुक्त रहकर आत्मा की शुद्धि ही उत्तम शौच धर्म है। इस धर्म का पालन करने से जीवन में संयम, संतोष और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
प्रातःकालीन कार्यक्रम का शुभारंभ प्रथम अभिषेक से हुआ,आज के अभिषेक का सौभाग्य निशांत जैन दिल्ली को प्राप्त हुआ प्रथम शांति धारा करूँ जैन तथा द्वितीय शांति धारा प्राचीश जैन द्वारा की गई।
आज पुष्पदंत भगवान् का जन्म कल्याणक था जिसके उपलक्ष में 9 किल्लो का एक एवंम 1 किल्लो के 51 निर्वाण लाडू भगवान् को समर्पित किये गए।
इसके उपरांत दशलक्षण विधान प्रारंभ हुआ। आज के विधान के सोधरमेंद्र एडवोकेट आदर्श जैन , यज्ञनायक अशोक जैन हैल्लो माजरा तथा कुबेरइंद्र जीतेन्द्र जैन मोहाली , ईशान इन्द्र सुभाष जैन रहे। विधान प्रातः 11 बजे पूर्ण हुआ, जिसके पश्चात सभी श्रद्धालुओं ने सात्विक भोजन ग्रहण किया।
सायंकाल 6:30 बजे महाआरती के साथ शाम के कार्यक्रम प्रारंभ हुए। तत्पश्चात श्रद्धालुओं को उत्तम शौच धर्म का महत्व समझाया गया तथा धर्मसभा में विद्वानों ने सरल और पवित्र जीवन की महत्ता पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात धार्मिक तम्बोला कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
ब्रह्मचारिणी लब्धि दीदी (हिमानी दीदी) के पावन मार्गदर्शन में श्रद्धा एवं भक्ति भाव से सम्पन्न
