उम्र बस एक नंबर है… 62 की उम्र में आलोक ने लेह फतेह कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

-60 प्लस की उम्र में 47 घंटे 32 मिनट में लेह से मनाली 428 किलोमीटर का सफर करने वाले पहले साइक्लिस्ट बने, वर्ल्ड रिकॉर्ड भी कायम किया
चंडीगढ़, 19 अगस्त
उम्र बस एक नंबर है… इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप 50 प्लस हैं या फिर 60 प्लस। इरादा पक्का हो तो आप किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं, कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं। ऐसा ही एक कारनामा ट्राईसिटी चंडीगढ़ के आलोक भंडारी ने कर दिखाया है।
आलोक 62 साल के हैं और उन्होंने साइक्लिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने लेह से मनाली तक का 428 किलोमीटर का सफर 48 घंटे से भी कम समय में पूरा करते हुए इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। ये सफलता उन्होंने मौसम और रास्ते की चुनौतियों के अलावा अपनी शारीरिक चुनौतियों को भी पार करते हुए हासिल की है। आलोक हार्ट पेशेंट हैं और एक स्टंट डलने के बाद भी वे न तो थमे हैं और न ही रुके हैं: सिर्फ आगे बढ़े हैं।
आलोक एक फिटनेस प्रेमी हैं और साइक्लिंग उनके लिए सब कुछ है। वे पंजाब सरकार के इरिगेशन डिपार्टमेंट से रिटायर हैं और कोविड के बाद उन्होंने साइक्लिंग को अपना साथी बना लिया। आलोक बताते हैं कि 2020 में मुझे हार्ट प्रॉब्लम हुई और मुझे एक स्टंट डलवाना पड़ा। इसके बाद मैंने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद साइक्लिंग शुरू की और 2022 में मनाली से लेह तक का सफर किया। इसमें 5 दिन लगे। इसके बाद 2023 में सफर 4 दिन में और 2024 में 3 दिन में किया। 2025 में लेह से मनाली का 428 किलोमीटर का सफर मैंने 47 घंटे 32 मिनट में पूरा करते हुए रिकॉर्ड बनाया।
आलोक कहते हैं कि उम्र ये तय नहीं करती कि आप फ्री बैठ जाएं और कुछ प्रयास न करें। ये आपका निर्णय है कि आप क्या करना चाहते हैं। मैं 60प्लस में फिटनेस पर ध्यान भी देता हूं और प्रमोट भी करता हूं। दूसरों को भी इसके लिए अवेयर करता हूं। जो दिल में है उसे करें, रुके नहीं। अपनी सेहत पर काम करते रहें।
ट्रेनिंग पर भंडारी कहते हैं कि मैंने जून में इसे करने का सोचा था और जनवरी से कड़ा अभ्यास शुरू किया। रोजाना मैं साइक्लिंग करता और एक भी दिन मिस नहीं किया। खाने में प्रोटीन ज्यादा खाया और सफर के दौरान भी वॉटर इनटेक बनाए रखा। रास्ते में कुछ जगह पर ऑक्सीजन काफी कम होती है, आपको मौसम की कड़ी चुनौतियों के लिए तैयार रहना होता है। इस सफर के दौरान मेरे तीन दोस्त मेरे साथ रहे, मेरा हौसला बढ़ाते रहे। मेरे परिवार का भी इस दौरान पूरा सपोर्ट रहा।
आलोक का कहना है कि मैं सभी को एक संदेश देना चाहता हूं कि अपनी फिटनेस पर जरूर काम करें। जिस तरह से सुबह आप दंतमंजन न करें तो पूरा दिन खराब लगता रहता है, ऐसा ही अहसास आपको तब भी आना चाहिए जब आप फिटनेस न करें। सेहत पर काम करें और खुद को समय देना शुरू करें।

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