आज वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे पर,
दिल के सबसे गहरे कोने से याद आ रहा है वंश बंसल…
सिर्फ़ 11 महीने की नन्ही उम्र,
पर इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल बनकर
वो इस दुनिया को छोड़ गया।
वंश ने अपने नन्हे जिस्म के हर अंग
और पूरे शरीर को दान देकर
इतनी ज़िंदगियों को नई साँसें दीं,
कि मौत भी उसकी रूह को छू न सकी।
वो गया नहीं…
वो तो अब हर उस दिल की धड़कन में है,
हर उस आँख की रौशनी में है,
और हर उस साँस में है
जो उसके कारण चल रही है।
वंश,
तुम्हारा नाम सिर्फ़ एक बच्चे का नाम नहीं,
बल्कि इंसानियत की अमर किताब का सुनहरा अध्याय है।
तुम हमें ये सिखा गए कि —
“ज़िंदगी छोटी हो सकती है,
पर उसका असर… सदियों तक अमर रह सकता है।
