प्राचीन कला केंद्र द्वारा वर्ल्ड म्यूजिक डे के अवसर पर मधुर संगीत की प्रस्तुत्तियों से सजी एक एक सुरमयी शाम।

 

शहर की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ वर्ल्ड म्यूजिक डे के अवसर पर एक विशेष संगीतिक संध्या का आयोजन आज यहाँ केंद्र के एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :00 बजे से किया गया। इस अवसर पर केंद्र में कार्यरत संगीत गुरुओं श्री प्रवेश कुमार , डॉ शिम्पी कश्यप , डॉ जसबीर सिंह एवं श्री सुरजीत सिंह द्वारा विभिन्न प्रस्तुतियां पेश की गयी।

इसके इलावा इस अवसर पर प्राचीन कला केंद्र द्वारा चल रही क्ले मॉडलिंग की कार्यशाला के अंतिम दिन एक प्रदर्शनी का आयोजन केंद्र की पीकेके आर्ट गैलरी में सायं 5:30 बजे से किया गया जिस में बच्चों द्वारा बनाई गयी कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया। इस क्ले मॉडलिंग का सञ्चालन गुरमीत गोल्डी द्वारा किया गया। इस अवसर पर 10 बच्चों ने भाग लिया जिनको इस कार्यशाला के समापन पर सर्टिफिकेट भी प्रदान किये गए

सबसे पहले प्रवेश कुमार द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत की गयी जिस में उन्होंने के राग यमन कल्याण में पारम्परिक आलाप के पश्चात विलम्बित रचना मोरा मनवा बांध लीनो रे पेश की और मध्य लय पर आधारित रचना दर्शन देव शंकर महादेव प्रस्तुत करके तालियां बटोरी और कार्यक्रम के अंत में खूबसूरत भजन जोगिया से प्रीत किया दुःख होये प्रस्तुत किया। इन साथ तबले पर अमनदीप गुप्ता ने मंच संभाला और हारमोनियम पर सुरजीत कुमार ने संगत की

इसके उपरांत डॉ शिम्पी कश्यप द्वारा राग पुरिया कल्याण में निबद्ध विलम्बित रचना साँझ भाई गौअन के संग से शुरुआत की और इसके उपरांत मध्य लय की रचना तोसे कान्हा रे पेश की। इन्होने ने अपने कार्यक्रम का समापन एक सुन्दर भजन कौन गली गए श्याम पेश करके किया। इनके साथ तबले पे दिव्यांश ठाकुर ने साथ दिया और हारमोनियम पर प्रवेश कुमार ने बखूबी संगत की

कार्यक्रम के अगले भाग में सुरजीत कुमार ने मंच संभाला। इन्होने ने राग कलावती में पारम्परिक आलाप के पश्चात बड़ा ख्याल की रचना मोरा मन लागे पिया के संग पेश की। इसके उपरांत छोटे ख्याल की रचना मंगल गाओ औ हरी हरी पेश की। इन्होने ने कार्यक्रम का समापन एक सूंदर भजन जोकि मनोज मुंतसिर द्वारा रचित है भगवान मेरे घर आये से किया । इन साथ तबले पर अमनदीप गुप्ता ने मंच संभाला और हारमोनियम पर राकेश कुमार ने संगत की

कार्यक्रम के अंतिम भाग में सूफी गायक डॉ जसबीर सिंह ने मंच संभाला और बाबा बुल्ले शाह के प्रसिद्द कलाम राँझा राँझा करदी नी मैं आपे राँझा होई पेश किया। इसके उपरांत बुल्ला की जाने मैं कौन प्रस्तुत की। अपने सूफी गायन की अंतिम रचना अलफ अल्लाह चंबे दी बूटी पेश की।

इस अवसर पर केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर केंद्र की रजिस्ट्रार गुरु शोभा कौसर तथा डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ समीरा कौसर भी उपस्थित थे। जिन्होंने कलाकारों के मंच प्रदर्शन की सराहना करते हुए कलाकारों का उत्साह वर्धन किया।

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