बाइलैटरल कॉक्लियर इम्प्लांटेशन से मिली छोटे बच्चे को सुनने की क्षमता

सुनने-बोलने में असमर्थ था एक साल और नौ महीने का बच्चा
मोहाली । सुनने-बोलने में असमर्थ एक साल और नौ महीने के बच्चे को मैक्स अस्पताल, मोहाली में सफल बाइलैटरल कॉक्लियर इम्प्लांटेशन के बाद उसकी सुनने की क्षमता पाने में मदद मिली।
बच्चे के माता-पिता ने जब नोटिस किया की उनका बच्चा आवाज़ पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है तो वे
उसे मैक्स लेकर आए। बच्चा बोल भी नहीं पा रहा था। बच्चे का एक बड़ा भाई भी है जो सामान्य रूप से सुनता और बोलता है, और परिवार के किसी भी सदस्य में ऐसी कोई समस्या नहीं थी।
मैक्स अस्पताल, मोहाली में डायरेक्टर ईएनटी डॉ. नरेश कुमार पांडा ने कहा कि हमने ब्रेन स्टेम इवोक्ड रिस्पॉन्स ऑडीमेट्री (बीईआरए) परीक्षण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया, जिसमें बाइलैटरल गहन हियरिंग लॉस का पता चला।
डॉ पांडा ने बताया कि इस कम उम्र में सुनने की क्षमता में कमी को देखते हुए, बच्चे के माता-पिता को पहले हियरिंग एड के इस्तेमाल की सलाह दी गई थी, हालांकि बच्चे पर अभी भी हियरिंग एड का कोई असर नहीं हो रहा है और इसलिए हमने बाइलैटरल कोक्लियर इम्प्लांटेशन का फैसला किया।
उन्होंने आगे कहा कि बाइलैटरल कॉक्लियर इम्प्लांटेशन इतना आम नहीं है और इसके लिए बहुत सटीकता की आवश्यकता होती है। दोनों इम्प्लांटेशन को 4-5 घंटे की अवधि के भीतर डालने की जरूरत होती है क्योंकि इतने छोटे बच्चे में सामान्य एनेस्थीसिया का समय लंबा होने से मरीज के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। बच्चा रिहैबिलिटेशन में है और विभिन्न ध्वनियों पर अच्छी प्रतिक्रिया दे रहा है।
डॉ पांडा ने कहा कि छोटे बच्चे जो सुनने की क्षमता में कमी के कारण भाषा सीखने में संघर्ष करते हैं, उन्हें हियरिंग एड की तुलना में कॉक्लियर इम्प्लांटेशन से काफी लाभ हो सकता है ।

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