कुलदीप सिंह बसपा नेता सरदूलगढ़ व पुलिस द्वारा की जा रही धक्केशाही के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस की

 

चंडीगढ़ 22 मई:
पत्रकार और इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन पुलिस पब्लिक प्रेस के समाजसेवी वरिंदर सिंह निवासी सिरसा, जो सरदूलगढ़ के जमपल है और कारोबार भी सरदूलगढ़ में ही है, ने सरदूलगढ़ के बसपा नेता कुलदीप सिंह व पुलिस प्रशासन के खिलाफ प्रेस वार्ता की। जिसमें वरिंदर सिंह ने बसपा नेता कुलदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा नेता कुलदीप सिंह पुलिस के साथ मिलीभगत करके लोगों को ब्लैकमेल करता है और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करवाकर उनसे पैसे ऐंठता है।

वरिंदर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि 15 फरवरी 2024 को उनके बेटे के खिलाफ सरदूलगढ़ थाने में झूठे तथ्यों के आधार पर फर्जी मामला दर्ज किया गया था और उसी रात करीब सवा नौ बजे सरदूलगढ़ पुलिस ने उनके घर पर अवैध रूप से छापा मारा और उन्हें धमकाया। वरिंदर सिंह ने बताया कि मामला दर्ज होने के बाद उन्हें लगातार संदेश मिलते रहे कि वे कुलदीप सिंह से मिलें, वे आपकी समस्या का समाधान करवाएंगे। लेकिन वरिंदर सिंह ने किसी भी समझौते की पेशकश को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि हमें माननीय अदालत पर भरोसा है और हमें निश्चित रूप से न्याय मिलेगा। इसके बाद 14 मार्च 2024 को सरदूलगढ़ पुलिस ने नाका लगाकर वरिंदर सिंह और उसकी पत्नी को रास्ते से उठा लिया। मामले में धारा 120-बी भी शामिल कर दी गई और वरिंदर सिंह को बिना किसी गलती के पुलिस ने पीटा। वरिंदर सिंह और उनकी पत्नी को बिना किसी गलती के 21-22 दिन तक जेल में रखा गया और बाद में पुलिस ने उन्हें बेगुनाह साबित कर दिया तथा माननीय न्यायालय ने धारा 319 के तहत आवेदन भी खारिज कर दिया। इसके बाद उस फर्जी केस दर्ज करवाने वाले द्वारा 28 नवंबर 2024 को वरिंदर सिंह व उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ एक और फर्जी आवेदन दायर किया गया, जिसमें वरिंदर सिंह के बेटे राहुल को भी नामजद किया गया। राहुल पहले से ही हिरासत में था, इसलिए वह आवेदन झूठा पाया गया और उसे आवेदन को दफ्तर दाखिल कर दिया गया।

21 मार्च 2025 से किसी अज्ञात व्यक्ति ने फेसबुक व इंस्टाग्राम पर गुनाहों का देवता नाम से आईडी बनाकर वरिंदर सिंह व उनके परिवार के सदस्यों को जानबूझ कर बदनाम करने, ब्लैकमेल करने व परेशान करने की नीयत से पोस्ट डालना शुरू कर दिया और कुछ पोस्ट में गुनाहों का देवता आईडी से नेता शब्द लिखकर पोस्टें भी डाली गई और वरिंदर सिंह को एक नेता का नाम लेने के लिए उकसाया गया। वरिंदर सिंह ने कहा कि मैंने अपनी फेसबुक आईडी से गुनाहों का देवता नाम से एक अज्ञात व्यक्ति को कुछ पोस्ट के माध्यम से जवाब दिया था, लेकिन मैंने किसी भी पोस्ट में किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिखा था। वरिंदर सिंह ने गुनाहों का देवता आईडी के खिलाफ साइबर क्राइम, एसएसपी मानसा और एसएचओ सरदूलगढ़ को शिकायत की, लेकिन अभी तक वरिंदर सिंह की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, यहां तक कि एसएसपी मानसा और एसएचओ सरदूलगढ़ को दी गई दरखास्तों का एप्लीकेशन नंबर भी वरिंदर सिंह को नहीं दिया गया। इसके बाद 9 अप्रैल 2025 को कुलदीप सिंह, बसपा नेता सरदूलगढ़ द्वारा वरिंदर सिंह के खिलाफ फर्जी आवेदन दायर किया गया जिसने कुलदीप सिंह ने वरिंदर सिंह पर गंभीर एग्जाम लगाए और यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर मुझे बदनाम किया है। जब वरिंदर सिंह को सरदूलगढ़ में डीएसपी कार्यालय में बुलाया गया, तो वरिंदर सिंह ने 21 अप्रैल 2025 को डीएसपी सरदूलगढ़ को अपना बयान लिखवाया। बयान लिखे जाने के बाद भी वरिंदर सिंह को कई बार डीएसपी कार्यालय में बुलाया गया और कुलदीप सिंह से लिखित में माफी मांगने का दबाव बनाया गया। वरिंदर सिंह ने कहा कि सरदूलगढ़ में डीएसपी कार्यालय लगातार मुझसे उस गलती के लिए माफी मांगने को कह रहा है, जो उन्होंने नहीं की। वहीं डीएसपी कार्यालय ने कहा कि अगर आप अपनी गलती नहीं मानेंगे, तो आपके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसके बाद 16 मई 2025 को डीएसपी सरदूलगढ़ ने खुद वरिंदर सिंह को व्हाट्सएप के जरिए काल करके डीएसपी कार्यालय बुलाया। उन्होंने वरिंदर सिंह से कहा कि आप कुलदीप सिंह से समझौता कर लें अन्यथा हम आपके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाएंगे, क्योंकि कुलदीप सिंह बसपा नेता ने आपके खिलाफ दो लोगों के बयान दर्ज करवाए है, जिसमें कुलदीप सिंह द्वारा जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने की बात कही गई है और कुलदीप सिंह बसपा नेता पुलिस पर फर्जी मामला दर्ज करने का दबाव बना रहा है।

वरिंदर सिंह ने आगे बताया कि मैंने 16 मई 2025 को बीएसपी नेता कुलदीप सिंह के खिलाफ एक दरखास्त माननीय मुख्यमंत्री पंजाब, माननीय रजिस्ट्रार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, माननीय चेयरमैन मानवाधिकार आयोग पंजाब, माननीय डीजीपी पंजाब और माननीय एसपी सिरसा को ईमेल और डाक द्वारा भेजा है। वरिंदर सिंह ने बसपा नेता कुलदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुलदीप सिंह ने इससे पहले सरदूलगढ़ के एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ 2020 में एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। कुलदीप सिंह बसपा नेता के पुलिस प्रशासन में अच्छे संबंध होने और पुलिस के साथ मिलीभगत के कारण पुलिस द्वारा मेरे खिलाफ एक और फर्जी मामला दर्ज किया जा सकता है। इसके बाद 19 मई 2025 को वरिंदर सिंह कुछ पंचायत के लोगों के साथ एसएसपी साहिब मानसा से मिले। हालांकि, एसएसपी साहिब ने कुलदीप सिंह के खिलाफ वरिंदर सिंह की अर्जी स्वीकार नहीं की, इसलिए वरिंदर सिंह को मजबूर होकर 19 मई 2025 को ईमेल के जरिए एसएसपी मानसा को अर्जी भेजनी पड़ी।

वरिंदर सिंह ने प्रशासन व सरकार से मांग की कि गुनाहों के देवता की सोशल मीडिया पर आईडी बनी हुई है। इस बात की जांच होनी चाहिए कि इसके पीछे कौन अज्ञात व्यक्ति है तथा कुलदीप सिंह और उस अज्ञात व्यक्ति के बीच क्या संबंध है। मेरे खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने और मुझे मानसिक रूप से परेशान करने के लिए बसपा नेता कुलदीप सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा वरिंदर सिंह ने सरदूलगढ़ से बसपा नेता कुलदीप सिंह द्वारा राजनीति में प्रवेश करने के बाद बनाई गई संपत्ति की जांच की भी मांग की। इसके अलावा किसी अज्ञात व्यक्ति ने वरिंदर सिंह के बिजनेस नंबर के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो भी भेजी थी और वरिंदर सिंह को व्हाट्सएप पर कॉल करके धमकी भी दी थी कि वह उसे देख लेगा। उसने वरिंदर सिंह को गालियां भी दी और वॉयस मैसेज भी भेजे थे। जिसके लिए आवेदन भी वरिंदर सिंह ने एसएसपी मानसा को 12 मई 2025 को ईमेल के माध्यम से भेजा था।

अंत में वरिंदर सिंह ने कहा कि अगर मुझे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को कोई जानी-माली नुकसान होता है या मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य पर कोई फर्जी मामला दर्ज होता है, तो उसके लिए कुलदीप सिंह बसपा नेता सरदूलगढ़ और गुनाहों का देवता नाम से फेसबुक व इंस्टाग्राम आईडी चलाने वाला अज्ञात व्यक्ति जिम्मेदार होगा।

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