54वें अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य और संगीत सम्मेलन के समापन दिवस पर शानदार वायलिन वादन और तबला की बेजोड़ तिकड़ी से इस विराट सम्मलेन का भव्य समापन

 

54वें अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य और संगीत सम्मेलन के समापन दिवस पर सुप्रसिद्ध वायलिन वादक डॉ संतोष नाहर एवं महिला तबला वादकों की तिकड़ी जिस में रिम्पा शिवा , संगीता अग्निहोत्री तथा सुनैना घोष जैसे मंझे हुए तबला वादकों द्वारा आज यहां टैगोर थिएटर में अपनी अद्वितीय प्रस्तुतियों से दर्शकों को खूबसूरत शाम और मीठे स्वरों से सराबोर कर दिया । । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री विकास सभरवाल, पीपीएस , अस्सिटेंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस , क्राइम विजिलेंस सेल , पंजाब पुलिस पधारे एवं केंद्र के एसएनए अवार्डी गुरु डॉ. शोभा कौसर और सचिव श्री. सजल कौसर ने मुख्य अतिथि को पुष्प , उतरिया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

आज के कार्यक्रम में दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार श्री रविंद्र मिश्रा , प्रो हरविंदर सिंह, पंडित सुशील जैन, श्री एस डी शर्मा, डॉ जगमोहन शर्मा , श्री मनमोहन शर्मा
इत्यादि भी इस मौके पर भी उपस्थित थे।

आज के कलाकारों में डॉ. संतोष कुमार नाहर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एक सधे हुए कलाकार हैं जिन्हें वायलिन पर अपनी महारत के लिए जाना जाता है। शास्त्रीय परंपराओं से जुड़े परिवार से होने के कारण, उन्हें अपने पिता, प्रसिद्ध गायक प्रहलाद प्रसाद मिश्रा ने संगीत से परिचित कराया और बाद में श्री टी.एम. पटनायक के मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी तकनीक को निखारा। उनके वादन में मधुर गायकी शैली और गतिशील तंत्रकारी दृष्टिकोण का एक सहज संश्लेषण दिखाई देता है, जो उनके प्रदर्शन को अभिव्यंजक और तकनीकी रूप से गहरा बनाता है।

आज की दूसरी कलाकार तबला की राजकुमारी के रूप में विख्यात विदुषी रिम्पा शिवा एक प्रतिष्ठित तबला कलाकार हैं, जिन्होंने अपने अद्वितीय कौशल और भारतीय तालवाद्य के गहन ज्ञान से वैश्विक श्रोताओं को मोहित किया है। एक बाल प्रतिभा के रूप में पहचाने जाने वाले, उन्हें मात्र नौ वर्ष की आयु में उस्ताद जाकिर हुसैन द्वारा सम्मानित किया गया था। अपने पिता और गुरु, पंडित स्वप्न शिवा के कठोर मार्गदर्शन में प्रशिक्षित, वह फर्रुखाबाद घराने की विरासत को कायम रखते हुए अपने प्रदर्शन में उल्लेखनीय नवीनता और कलात्मकता का समावेश करती हैं।

विदुषी संगीता अग्निहोत्री, मध्य प्रदेश की पहली महिला तबला वादक हैं, जो पं. से प्रशिक्षित एक कुशल ताल वादक हैं। दिनकर मुजुमदार, पूरब घराने के उस्ताद जहांगीर खान के शिष्य थे। नाद योगी सम्मान, सरस्वती पुत्री सम्मान और अबान मिस्त्री सम्मान सहित कई सम्मानों की प्राप्तकर्ता, उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए मान्यता अर्जित की है।

विदुषी सुनयना घोष एक प्रतिष्ठित तबला वादक हैं, जिन्होंने पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके रूढ़िवादिता को तोड़ दिया। छह साल की उम्र में ही एक विलक्षण प्रतिभा के रूप में पहचानी जाने वाली, उन्होंने गुरु समर मित्रा और बाद में फरुखाबाद घराने के महान पंडित शंकर घोष के अधीन प्रशिक्षण लिया। उन्होंने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ मास्टर डिग्री प्राप्त की और 1998 में प्राचीन कला केंद्र से प्रथम श्रेणी के साथ प्रतिष्ठित संगीत भास्कर डिप्लोमा प्राप्त किया।

कार्यक्रम के पहले भाग में जाने माने वायलिन वादन पंडित संतोष नाहर द्वारा वायलिन वादन पेश किया गया जिसमें इन्होंनें पारम्परिक आलाप जोड़ के बाद राग किरवानी से कार्यक्रम की शुरूआत की और जोड़ झाला पेश किया मध्य लय तीन ताल में निबद्ध गतों और खूबसूरत बंदिशों से कार्यक्रम को और भी खूबसूरत रंग में रंग दिया। राग विस्तार , अलंकारिक ताने, गमक की प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा । इसके साथ ही झाला में तबला के साथ सवाल जवाब की जुगलबंदी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर गयी। इनके साथ तबले पर जाने माने तबला वादक राज कुमार नाहर ने बखूबी संगत की।

आज की दूसरी प्रस्तुति में तबले के विभिन्न बोलों से हुई क्योंकि तीन महिला तबला वादकों ने बेजोड़ तबला वादन पेश किया और तीन ताल में उठान,आलाप,गत फरद,कायदे,रेले पेश करके खूब तालियां बटोरी । पारम्परिक बंदिशों में तबले की थाप से ये तीनो कलाकारों का समन्वय देखने लायक था । इनके साथ हारमोनियम पर मंझे हुए कलाकार राजेंद्र बैनर्जी ने संगत करके रंग जमा दिया ।

शाम के विशिष्ट अतिथियों ने कलाकारों को सम्मानित किया। श्री सचिव सजल कौसर ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मीडिया, दर्शकों, कलाकारों और उनकी टीम का आभार व्यक्त किया।

इसी के साथ इस वर्ष इस विराट उत्सव का भव्य समापन हो गया और इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों को हार्दिक बधाई

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