54वे भास्कर राव सम्मेलन के तीसरे दिन मनमोहक संतूर वादन और खूबसूरत भरतनाट्यम नृत्य ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

Chandigarh

संगीत और नृत्य एक ऐसा माध्यम है जो विभिन्न संस्कृतियों को जहाँ एक साथ जोड़ता है वहीं इससे जुड़े कलाकारों और रसिकजनों को भी आनन्द प्रदान करता है और इसी सांस्कृतिक अंचलों को जोड़ने का अद्भुत कार्य कर रहा है टैगोर थिएटर में चल रहा प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित 54वां भास्कर राव नृत्य-संगीत सम्मेलन। सभागार में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त तथा प्राचीन कला केंद की रजिस्ट्रार गुरु माँ डॉ. शोभा कौसर, प्राचीन कला केंद्र के सचिव सजल कौसर तथा कई गण माननीय अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति में इस शाम कुछ ख़ास इसलिए भी थी क्योंकि प्रख्यात संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी के पुत्र एवं शिष्य पंडित अभय रुस्तम सोपोरी और साथ ही दक्षिण भारत नृत्य शैली की झलक लिए कलकत्ता के सम्राट दत्ता और शांतनु रॉय ने अपनी बेहतरीन भरतनाट्यम युगल नृत्य प्रस्तुति देने यहाँ पहुंचे हुए थे !
आज के कार्यक्रम में श्री विजय नामदेव ज़ादे, सचिव , फाइनेंस डिपार्टमेंट , पंजाब सरकार ने मुख्य अतिथि के रूप में शोभा बढ़ाई

कार्यक्रम की शुरुआत पंडित अभय सोपोरी ने पारम्परिक आलाप के माध्यम से मधुर राग “मारवा ” को जोड़ और झाले से विस्तार रूप दिया उपरांत कुछ सुंदर रचनाओं को प्रस्तुत करके इन्होने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी । इन्होने ने झप ताल एवं द्रुत तीन ताल में सुन्दर रचनाएँ पेश करके दर्शकों को सहज ही अपने संगीत से जोड़ लिया। लयकारी से सजी रचनाएँ पेश करके अभय ने संतूर वादन का बेहतरीन प्रदर्शन किया। अपने कार्यक्रम के अंत में अभय ने एक मधुर धुन से समापन किया। उनका साथ देने के लिए प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अकरम खान ने बखूबी संगत करके चार चाँद लगा दिए ।

इसके बाद सम्राट एवं शांतनु ने मंच संभाला और सबसे पहले भक्ति से ओतप्रोत संगीत के माध्यम से श्री राम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अंजलि का आह्वान “मार्गम” पेश किया । महान मुस्लिम कवि “काजी नज़रुल इस्लाम” द्वारा रचित बंगाली में पुष्पांजलि “अनलाली लोगो मोर संगीते” इस रचना में नृतक ने प्रभु को संगीत के माध्यम से नमन किया। नृतक ने नृत्य के माध्यम से प्रभु के प्रति अपनी अन्य भक्ति को पेश किया। ये रचना राग – तिलंग और ताल – चतुश्र एकम में निबद्ध थी।

प्रस्तुति के मध्य भाग में , महान संगीतकार श्री सीताराम शर्मा द्वारा रचित वर्णम जो प्रस्तुति में रंग भरता है और राग तोड़ी और ताल आदि में निभाड्ढ था पेश किया गया इस में रामायण के विभिन्न प्रसंगों को नृत्य के माध्यम से दर्शाया गया है जहाँ “श्री राम चन्द्र”, सबरी, कैकेयी, दशरथ, रावण, विश्वामित्र मुनि, तारक और कई अन्य वर्णम की समृद्धि के साथ उजागर होते हैं,। इसके उपरांत इन्होने ने सूरदास द्वारा रचित भजन जय नारायण ब्रह्म परायण श्रीपति कमला कांतम पर आधारित प्रस्तुति पेश करके कार्यक्रम का खूबसूरत समापन किया। इनके साथ संगतकारों में मोहना अय्यर (नट्टुवंगम ) वेंकटेश्वर कुपुस्वामी (गायन ), विग्नेश जयराम (मृदंगम ) एवं समय कानन के वायलिन पर बखूबी साथ दिया। दर्शक इस प्रस्तुति को देख कर मंत्र मुग्ध हो गए
कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को उत्तरीया व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. सम्मलेन के चौथे दिन बांसुरी वादक अजय प्रसन्ना तथा गुरु दुर्गा चरण रणबीर एवं समूह ओडिसी नृत्य पेश करेंगे

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