किन्नर मंदिर में लक्ष्मी नृसिंह भगवान के यज्ञ, सुदर्शन यज्ञ, गौ पूजा, कुबेर लक्ष्मी पूजन, महादुर्गा चंडी पाठ, सुंदरकांड पाठ यज्ञ, महालक्ष्मी व भगवान गणेश 31 दिन का यज्ञ की संपूर्ण आहुति

 

दीवाली महोत्सव का हवन यज्ञ पूजन के साथ समापन

चंडीगढ़:–कार्तिक माह की अमावस्या पर दीपावली का पर्व बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हिंदुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस दिन पर विशेष रूप से लक्ष्मी जी और कुबेर देव की पूजा की जाती है। इसी शुभावसर पर जय माता किन्नर मंदिर, बापूधाम सेक्टर 26 में दीवाली पर्व महोत्सव हवन यज्ञ पूजन आज भक्ति और श्रद्धाभाव के साथ संपन्न हुआ। किन्नर मंदिर की पुजारिन महंत कमली माता के सानिध्य में मंदिर के ब्राह्मणों ने लक्ष्मी नृसिंह भगवान के यज्ञ, सुदर्शन यज्ञ, गौ पूजा, कुबेर लक्ष्मी पूजन, महादुर्गा चंडी पाठ, सुंदरकांड पाठ यज्ञ, महालक्ष्मी व भगवान गणेश 31 दिन का यज्ञ संपूर्ण आहुति डाली।
पुजारिन महंत कमली माता ने बताया कि दिवाली या दीपावली, रोशनी का त्योहार, भारत के सबसे बड़े और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। बहुत उत्साह के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार बहुरंगी रंगोली, विशेष अनुष्ठान, दीपों की रोशनी, फूलों की सजावट, आतिशबाजी, दिवाली की मिठाइयों और उपहारों के आदान-प्रदान से चिह्नित है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह पाँच दिवसीय त्योहार दशहरा के 20 दिनों के बाद मनाया जाता है। दिवाली का जश्न अश्विन (अक्टूबर/नवंबर) महीने के अंधेरे पखवाड़े के 13वें दिन से शुरू होता है और अश्विन के अंधेरे पखवाड़े के 15वें दिन अमावस्या को पड़ता है। रोशनी का त्योहार कार्तिक के उज्ज्वल पक्ष के दूसरे दिन समाप्त होता है। दिवाली भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद लौटने और रावण पर उनकी जीत की याद में मनाई जाती है। यह शब्द संस्कृत शब्द दीपावली से लिया गया है – ‘दीप’ का अर्थ है दीया (मिट्टी से बने छोटे बर्तन) या प्रकाश और ‘अवली’ का अर्थ है पंक्ति – यानी दीयों की एक पंक्ति या दीपों की एक सरणी। इस प्रकार यह त्यौहार पूरे घर में छोटे-छोटे दीये, मोमबत्तियाँ और दीप रखकर मनाया जाता है। इसी शुभावसर पर किन्नर मंदिर में लक्ष्मी नृसिंह भगवान के यज्ञ, सुदर्शन यज्ञ, गौ पूजा, कुबेर लक्ष्मी पूजन, महादुर्गा चंडी पाठ, सुंदरकांड पाठ यज्ञ, महालक्ष्मी व भगवान गणेश 31 दिन का यज्ञ संपूर्ण आहुति डाली गई।

महंत कमली माता ने बताया कि दिवाली के तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा होती है। यह पांच दिवसीय उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन है जिसमें पटाखों की होली, दीपों की रोशनी, स्वादिष्ट मिठाइयों और नए कपड़ों की धूम रहती है। यह दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है और उत्तर और पश्चिम भारत में दिवाली पर देवी की पूजा करना मुख्य कार्यक्रम है। देवी लक्ष्मी पूजा पांच देवताओं की संयुक्त पूजा है: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है; देवी लक्ष्मी की पूजा उनके तीन रूपों में की जाती है – महालक्ष्मी (धन और पैसे की देवी), देवी सरस्वती (विद्या की देवी) और कुबेर (देवताओं के कोषाध्यक्ष) की भी पूजा की जाती है।

उन्होंने बताया कि दिवाली पर जो कोई भी माता लक्ष्मी का पूजन करता है, उसकी प्रार्थना अवश्य स्वीकृत होती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा से पूरे साल धन और समृद्धि मिलती है। दिवाली पर ज्यादातर लोग घर में माता लक्ष्मी का पूजन सामान्य दिनों की तरह ही करते हैं, जबकि मंदिरों में इनकी पूजा कई विशेष चरणों में होती है।

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